“Repo Rate in India (2025) – Meaning, RBI Policy Impact on Economy & EMI”

 रेपो रेट:-Repo Rate

  रेपो रेट कुछ सुना हुआ सा शब्द लगता है, आप सही सोच रहे आपने इसे टीवी या अखबार में देखा या सुना होगा। मगर समझ में कम ही आया होगा, चलिए आज पूरी कहानी समझते है इसकी रेपो रेट को बैंकिंग क्षेत्र का शब्द है।
आसन भाषा में कहे तो यह रिज़र्व बैंक इसको महंगाई को रोकने के साधन के रूप में प्रयोग करता है।

रेपो रेट क्या है:- ( What is Repo Rate)

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर रिज़र्व बैंक (Reserve bank) अपने बैंकों को छोटी अवधि के लिए लोन देता है जब कभी बैंकों को लोन की आवश्कता होती है तो वह रिज़र्व बैंक से पैसे उधार लेते है और रिज़र्व बैंक इसी उधार दी गयी रकम पर जो उस समय रेपो रेट चल रहा होता है के हिसाब से ब्याज लेता है। इसीलिए कहते जब रपो रेट बढ़ता तो लोन महंगा हो जाता है। जब कभी रपो रेट कम हो जाता तो लोन सस्ता मिलने लगता है।

रेपो रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति (Monetary Police) का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मौद्रिक नीति में ही रपो रेट का उल्लेख होता है। हर 2 महीने पर मौद्रिक नीति की समीक्षा होती है और नयी मौद्रिक नीति घोषित होती है। मौद्रिक नीति की को बनाने लिए RBI की मौद्रिक नीति समिति होती है। वर्तमान में 5.5% रपो रेट चल रही है।

रेपो रेट काम  कैसे करता है:- (How Repo Rate works)

चूँकि रेपो रेट को रिज़र्व बैंक महंगाई को नियंत्रित करने से साधन के रूप में प्रयोग करता है तो जब भी कभी रिज़र्व को यह लगता की बाजार में आवश्कता से अधिक रुपया चलन में आ गया तो महंगाई को नियंत्रित करने के लिए वो रपो रेट का सहारा लेता है। यदि रेपो रेट बढ़ जाएगा तो सीधे तौर पर बैंकों के लिए लोन महंगा हो जाएगा और जब बैंकों को महंगा लोन मिलेगा तो वह भी अपने ग्राहकों को बढे हुए रेट पर लोन देंगे जिस वजह से लोग कम लोन लेंगे।

चूँकि अब जब लोन महंगा है तो जेब में पैसे कहाँ से आएंगे और जब पैसे नहीं होंगे तो लोग कम खर्च करते और जब लोग कम खर्च करते है तो चीजों की माँग (Demand) कम हो जाती है और सप्लाई (Supply) बढ़ जाती है। सारा खेल ही माँग और सप्लाई का है।

रेपो रेट क्यों बदलता है रिज़र्व बैंक:-(Why Reserve Bank Change Repo Rate)

  • महंगाई को नियंत्रित करने के लिए।
  • बैंकों के पास नगदी को कम या ज्यादा करने के लिए।
  • आर्थिक विकास को बनाये रखने के लिए।

आम आदमी पर रेपो रेट का असर:-(Repo Rate impact on common man)

  • जब भी रेपो रेट बढ़ता है आप जो लोन लेने जा रहे है उसकी EMI बढ़ जाती है।
  • जब भी रपो रेट घटता है लोन की EMI घट जाती है।

इसे एक उदाहरण से समझते है मान लीजिये आप 10 लाख का लोन लेते है और रेपो रेट है तो आप की EMI पर क्या असर आएगा देखते है।

पुरानी दर(6.5%)

 लोन          दर           समय             EMI
 10 लाख   6.5%      30 साल         6752

नयी दर(7.00%)

लोन          दर           समय            EMI
10 लाख   7.00%    30 साल       7068

नयी दर में 94717 रुपये का अधिक ब्याज  देना पडेगा.

निष्कर्ष:-

रपो रेट केवल बैंक और अर्थव्यवस्था को ही नहीं प्रभावित करता है बल्कि यह आम आदमी की जेब पर भी सीधा असर डालता है।  अब यदि रेपो रेट बढ़ा है तो आपको ज्यादा EMI देनी होगी, और आप भी यह मान कर चले कि महंगाई बढ़ गयी है, और यदि रपो रेट घटता होता है तो कम EMI देनी पड़ेगी और महंगाई नियंत्रण मे है। क्योंकि रिज़र्व बैंक इसका प्रयोग महंगाई को नियंत्रित करने के लिए करता है।

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